मिनिस्ट्री ऑफ न्यू और रिनेवल रिसोर्सेस ने भारत में Electric Vehicle चार्जिंग के संबंध में दिशानिर्देशों में बदलाव के नियमों को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह का कहना है कि ये नियम ईवी मालिकों की चिंताओं को दूर करेंगे और इवी चार्जिंग के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को डेवलप करने में मदद करेंगे।
नए नियम पिछले साल दिसंबर में जारी किए गए नियमों के बिल्कुल विपरीत होगा और यह चार्जिंग निर्माताओं के सुझाव से तैयार किया गय़ा है। नए नियम के मुताबिक प्रत्येक तीन तीन वर्ग किमी के लिए कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन होगा। शहरों में, सड़कों और राजमार्गों के दोनों ओर हर 25 किमी पर भी एक चार्जिंग स्टेशन होगा।
1 से 3 वर्षों में पूरा होगा लक्ष्य
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नए नियमों के तहत चरणबद्ध तरीके से चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की स्थापना की जाएगी। मेगासिटी से जुड़े सभी मेगासिटी और एक्सप्रेसवे पहले चरण के तहत कवर किए जाएंगे जिसे 1-3 वर्षों के बीच स्थापित किए जाएंगे।
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अन्य बड़े शहरों को अगले स्टेज में अगले 3-5 वर्षों में कवर किया जाएगा। चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना की सुविधा के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) के साथ हर 100 किमी पर फास्ट-चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
घर औऱ ऑफिस में होगी पूरी छूट
इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि ईवी के लिए अधिकांश चार्जिंग घरों और कार्यालयों में होगी, जहां तेज या धीमी चार्जिंग का उपयोग करने का निर्णय उपभोक्ता आराम से कर सकेंगे। कार्यालयों और आवासों पर निजी चार्ज की अनुमति दी जाएगी और वितरण कंपनियों (DISCOM) को इसकी सुविधा प्रदान करनी होगी।
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मंत्रायल ने यह भी स्पष्ट किया है कि घरेलू चार्जिंग बिजली की घरेलू खपत के समान होगी। इसके अलावा सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) के लिए डी-लाइसेंस लेना होगा, जिसके कोई भी व्यक्ति या संस्था स्टेशनों को स्थापित करने के लिए स्वतंत्र होंगे।