राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में वाहनों से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। इस बाबत जब सरकार कोई एक उपाय करती है, तो दूसरी तरफ फिर से कोई एक नई समस्या खड़ी हो जाती है। दिल्ली में वाहन के प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए कुछ साल पहले डीजल वाहनों पर अंकुश लगाकर सीएनजी की बसों को उतारा गया था, लेकिन यह भी पर्याप्त न होने के कारण सरकार अब इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल पर जोर दे रही है।
इसी कड़ी में अब दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने ई-रिक्शा और अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों की दरों में कमी की है।
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अब लो-टेंशन ई-व्हीकल यूजर्स (जो घर पर चार्ज करते हैं) 5.5 रुपये की बजाय 4.5 रुपये प्रति किलोवाट का भुगतान करेंगे, जबकि हाई-टेंशन यूजर्स (पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों पर) 5 रुपये प्रति किलोवाट के बजाय 4 रुपये का भुगतान करेंगे।
केन्द्र सरकार ने भी उठाए हैं कदम
इसके पहले केन्द्र की सरकार ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) को खरीदने के लिए प्रोत्साहन देते हुए जीएसटी कर की ज्यादा दरों में राहत प्रदान करते हुए 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था। यह नियम 1 अगस्त से प्रभावी है, यानि इसे लागू किया जा चुका है। जीएसटी संशोधन के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में काफी कमी आई है। ऐसे में चार्जिंग स्टेशनों के लिए प्रोत्साहन दरें आने वाले समय में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।
बता दें कि सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रिक वहीकल्स पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी अगर चीन और अमेरिका जैसे देशों से भारत की तुलना किया जाए, तो अभी भी भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल के मामले में इन देशों के सामने कहीं नहीं ठहरता है।
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चीन और अमेरिका अपने यहां चार्जिंग पॉइंटों को बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर लगातार जोर दे रहे हैं। ऐसे में अगर दिल्ली की तरह ही देश के अन्य भागों में भी इसी प्रकार की रियायत प्रदान की जाए तो निश्चित ही यह एक काबिलेतारीफ कदम होगा।