हाल ही में केन्द्र सरकार की पहल पर लागू किए गए मोटर वाहन एक्ट को लेकर अलग- अलग राज्यों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में इस एक्ट को जहां ज्यो का त्यों लागू कर दिया गया है, वहीं गुजरात जैसे राज्यों में यह लागू नहीं हो पाया है।
नए नियम को लागू न करने वाले राज्यों में केवल कांग्रेस शासित राज्य ही नहीं बल्कि भाजपा शासित राज्य भी हैं। ऐसे में इन राज्यों में क्यों और किसलिए यह नया नियम लागू नहीं हो पाया है, आइए जानते हैं—
नया मोटर वाहन एक्ट न लागू करने वालों में सबसे पहला राज्य तो खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृह राज्य गुजरात है। यहां की राज्य सरकार ने जुर्माने की राशि में औसतन 90 फीसदी की कटौती की है। इनमें एम्बुलेंस का रास्ता रोकने, ओवरलोड करने, बिना रजिस्ट्रेशन की बाइक से सवारी करने के जुर्माने में 90 फीसदी की कटौती हुई है।
दूसरा राज्य भाजपा शासित महाराष्ट्र है। यहां भी मुख्यमंत्री देंवेंद्र फडणवीस इस मुद्दे पर नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखने वाले हैं, जबकि भाजपा शासित उत्तराखंड में जुर्माना राशि को काफी ज्यादा बताया गया है और इसे संशोधित किया है। ठीक इसी प्रकार झारखंड में भी नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं हुआ है।
राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा की खट्टर सरकार ने नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने से इनकार किया है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्य भी मोटर व्हीकल एक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
तृणमूल कांग्रेस ने इस कानून का संसद में भी विरोध किया था और अब ममता सरकार ने राज्य में इसे लागू नहीं किया है। बीजेपी शासित कर्नाटक की राज्य सरकार भी बढ़ी हुई जुर्माना राशि से परेशान नजर आ रही है और जल्द ही जुर्माना राशि में कटौती के संकेत दिए हैं।
नया मोटर वाहन एक्ट को लेकर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि केंद्र की तरफ ये जुर्माना कमाई के लिए नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा के लिए लगाया गया है। अगर कानून कड़ा होगा तो लोग उसका पालन करेंगे, जबकि ओर दूसरी राज्य को भी ये पूरा अधिकार है कि वह जुर्माने की राशि में अपने हिसाब से बदलाव करे।