भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग इन दिनों मंदी की मार से जूझ रहा है और 20 सितम्बर को होने वाली जीएसटी काउंसिंल की बैठक में विभिन्न निर्माताओं को सरकार से उम्मीद थी कि उन्हें जीएसटी में राहत दी जाएगी, लेकिन सरकार की ओर से फिलहाल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को कोई राहत नहीं मिलती हुई दिख रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में सरकार ने ऑटो इंडस्ट्री की मांग को नजरअंदाज कर दिया है। विभिन्न निर्माता कारों पर लगने वाले 28 फीसदी जीएसटी को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रही थे लेकिन काउंसिल की ओर से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यह रही वजह
दरअसल काउंसिल के इस फैसले को लेकर जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने पहले से ही संकेत दे दिए थे। फिटमेंट कमेटी ने स्पष्ट किया ता ऑटो इंडस्ट्री के लिए टैक्स स्लैब में कटौती का अधिकतर राज्य विरोध कर रहे हैं। इसके कारण राज्यों को राजस्व का भारी नुकसान होना माना रहा था।
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कमेटी ने कहा कि स्लैब में कमी से टैक्स कलेक्शन में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होगा। अगस्त, 2019 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 98,202 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी महीने में 93,960 करोड़ की तुलना में 4.51 फीसदी अधिक था। यह जीएसटी कलेक्शन स्तर हालांकि साल-दर-साल आधार पर अधिक था, फिर भी सरकार की उम्मीद के मुताबिक एक लाख करोड़ रुपये से कम था।
क्या कहते हैं वाहन निर्माता
सरकार के इस फैसले पर वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की ओर से वाहनों पर टैक्स में कटौती से इनकार करने के बाद अब मांग को बढ़ावा देने के लिए उद्योग को " अपने स्तर पर ही प्रयास करने" होंगे।
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संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा कि वाहन उद्योग जीएसटी में कटौती को लेकर काफी आशान्वित थे, लेकिन सरकार ने जीएसटी को 28 से घटाकर 18 फीसदी नहीं किया गया है। लिहाजा उद्योग को अपनी मांग बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर विकल्प ढूंढने होंगे।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में गिरावट
बता दें कि पिछले कई महीनों से ऑटोमोबाइल सेक्टर में प्रोडक्शन और सेल्स में गिरवट देखी जा रही है। मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और अशोक लीलैंड जैसी बड़ी कंपनियों के प्लांट में प्रोडक्शन कई दिनों तक बंद रहा है। ऐसे में जीएसटी काउंसिल के इस फैसले को ऑटो सेक्टर के लिए झटके की तरह मान रह हैं।