ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में चार दशक की सबसे बड़ी गिरावट

भारत (India)के ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता खर्च चार दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अंग्रेजी अखबार इकोनामिक टाइम्स में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था अपने पुनर्जीवित के लिए संघर्ष कर रही है, जिसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ा है।

भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा दर्ज डेटा के साथ रिपोर्ट ने बताया है कि 1972-73 के बाद से जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच भारत के गांवों में उपभोक्ता मांग में 8.8 प्रतिशत की कमी आई है।

ब्याज दरों में कमी के बाद भी हालात बेहतर नहीं

देखा जाए तो 1.3 अरब आबादी में से दो तिहाई ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण ड्राइवर हैं। रिपोर्ट ने कहा है कि यहां खाद्य, शिक्षा और कपड़ों पर खर्च करने में कमी आई है, जिसमें 20 फीसदी अनाज जैसी जरूरी चीजों की मांग भी है।

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इधर मांग बढ़ोत्तरी हो, इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने न केवल पांच बार ब्याज दरों में कटौती की है बल्कि कारों की खरीद पर आकर्षक ब्याज दर में छूट दी गई है, लेकिन रिपोर्ट का कहना है कि इसका कोई फायदा नहीं हुआ है।

ऑटो सेक्टर के लिए अच्छा रहा फेस्टिव सीजन

हालांकि फेस्टिव सीजन में कार और बाइक की मांग में बढ़ोत्तरी जरूर दर्ज की गई है। एक ओर जहां एमजी मोटर्स और किआ मोटर्स की कारों की खरीद में उछाल आया है, वहीं होंडा मोटर्स ने भी पहली बार फेस्टिव सीजन में डबल अंकों में ग्रोथ दर्ज की है।

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किआ सेल्टोल की बुकिंग 62 हजार के पार हो गई है वहीं एमजी हेक्टर भी 50 हजार की बुकिंग के करीब है। बाइक सेगमेंट में हाल ही में लॉन्च हुई जावा की बाइक्स की वेटिंग लिस्ट अप्रैल साल 2020 तक है।

[सोर्स- इकोनामिकटाइम्स]

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