बीएस6 एमिशन नॉर्म्स आज से लागू, जानिए हर सवाल का जवाब

आज 1 अप्रैल 2020 से भारत में बीएस6 एमिशन नॉर्म्स लागू हो गया है। यह कदम भारत सरकार द्वारा वाहनों से निकलने वाले वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिसका उद्देश्य इसे कम करना है। यह कदम वायु प्रदूषण की दिशा में उठाया गया एक तकनीकी कदम है और भारत में अपना व्यवसाय कर रही लगभग सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों को पिछले एक साल से बीएस6 में अपडेट कर रही हैं।

बता दें कि अब से एक दिन पहले तक यानि 31 मार्च तक भारत में बीएस4 एमिशन नॉर्म्स लागू थे और आप भी पिछले एक साल से बीएस6 और बीएस4 के बारे में लगातार सुन रहे थे। हम इस लेख में आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर बीएस4 और बीएस6 में अंतर क्या है और इसके लागू होने के बाद वाहन उद्योग में किस तरह का बदलाव होगा?

क्या है बीएस6?

आपमें से बहुत सारे लोगों को पता होगा कि भारत सरकार मोटर वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण पार्ट (पलूटेंट्स) को कंट्रोल करने के लिए एक जरूरी स्टैंडर्ड तय करती है। इसी स्टैडर्ड को बीएस यानी भारत स्टेज कहा जाता है, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय निर्धारित करता है।

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मोटर वीइकल से निकलने वाले प्रमुख प्रदूषण आमतौर पर पेट्रोल-डीजल इंजन से निकलते हैं और इनके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन होता है। इसके अलावा पर्टिकुलेट मैटर (PM) या कार्बन सुट डीजल के साथ-साथ डायरेक्ट-इंजेक्शन पेट्रोल इंजन का भी एक अन्य बाय-प्रॉडक्ट है। यही प्रदूषण हवा के साथ मिलकर उसे खराब करता है।

बीएस4 के बाद बीएस6 क्यों?

गौरतलब है कि हमारे देश में पहली बार साल 2000 में India 2000 नाम से वाहनों के लिए एमिशन नॉर्म्स लागू किए गए थे। इसके बाद साल 2005 में बीएस2 और फिर 2010 में बीएस3 को लागू किया गया। इसी तरह 2017 में बीएस4 नार्म्स लागू हुए, लेकिन देश में बढ़ते प्रदूषण के लेवल को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2020 में बीएस5 की जगह सीधे बीएस6 एमिशन नॉर्म्स को लागू करने फैसला लिया।

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बीएस6 एमिशन नॉर्म्स बीएस4 की तुलना में ज्यादा कठोर होता है और इसमें NOx का लेवल पेट्रोल इंजन के लिए 25 पर्सेंट और डीजल इंजन के लिए 68 पर्सेंट तक कम होता  है। इसके अलावा डीजल इंजन के HC + NOx की लिमिट 43 पर्सेंट और पीएम लेवल की लिमिट 82 पर्सेंट कम की गई है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए बीएस6 कम्प्लायंट इंजन में मॉडर्न टेक्नॉलजी जैसे फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

बीएस4 गाड़ियां अब चलेंगी?

इस सवाल का जवाब है कि हां, अभी बीएस4 वाहन भारत की सड़कों पर चलेंगे और कोराना वायरस के कारण लागू हुए लाक डाउन के खुलने के 10 दिन बाद तक बीएस4 वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन दोनो होगा। रही बात फ्यूल कंडीशन की तो आपको बता दें कि बीएस4 वाहन बीएस6 फ्यूल के साथ बिना किसी समस्या के चल सकते हैं और खासकर वह पेट्रोल वाहन है तो।

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इसके विपरीत डीजल इंजन के साथ कुछ कहा नहीं जा सकता। दरअसल डीजल इंजन में फ्यूल में सल्फर कॉन्टेंट फ्यूल इंजेक्टर के लिए लूब्रिकेंट के रूप में कार्य करते हैं। बीएस4 फ्यूल की तुलना में बीएस6 फ्यूल में सल्फर कन्टेंट पांच गुना कम होता है। इसके चलते लूब्रिकेंट की कमी की वजह से लंबे समय बाद फ्यूल इंजेक्टर में थोड़ी बहुत खराबी पैदा हो सकती है।

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